दिल के झरोखों से :
दिल के झरोखों से :


दिलों में क्यूं बंद किया जज्बातों को
सीलन सी आ गई इनमें देखो
थोड़ी धूप थोड़ी हवा भी लग जाने दो
बाहर का मंजर इनको दिख जाने दो
कुछ और नये एहसासों को फिर जुड़ जाने दो
क्या रखा है पुरानी रंजिशो में
वो बीते कल थे
उन्हें यादों में ही खो जाने दो
नयी जोश नयी उमंगों संग
इन पलों में ताजगी भर जाने दो
कुछ पुराने कुछ नये रिश्तों में
नजदीकियां फिर आ जाने दो
अपनों से क्या रूठना
रूठने मनाने से
मौसम का मिजाज बदल जाने दो
कुछ उनकी सुनकर
कुछ अपनी कहकर
अपनों को फिर वापस आ जाने दो
आओ खोल दो दिलों के बंद झरोखों को
समा जाने दो उनमें मधुर एहसासों को
घुल जाने दो एहसासों को हर लम्हों में
और लम्हों को प्रेम की बौछारो से भीग जाने दो!!!