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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा बाबा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा बाबा

Tragedy

दिल चाहतों ने

दिल चाहतों ने

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जिन उम्मीदों से प्यार किया,

जिन वादों पर ऐतबार किया,

वो वादे उम्मीदों के साथ टूटे,

दिल की चाहतों ने बर्बाद किया।


हमने आजतक यह न माना है, कि

उसने हमसफर कोई और माना है।

उसकी याद में हम कुछ लिख देते है,

जलते अरमान टूटते जज्बात बिखेर देते हैं,

उठाले गम कोई मेरा हमसफर बनकर,

आवाज़ दिल की स्याही से लिख देते हैं।


चंद तारों के टूटने से आसमां खाली नहीं होता,

कोई अपना दामन छोड़ दे तो अपना नहीं होता।

वो मेरे गम से खुशी लेकर जाते हैं,

जो मेरे अपने बनकर जिंदगी में आते हैं।


उस बेवफा का जब भी चेहरा याद आता है,

कलम कागज़ पर नज्म दिल की लिख जाता है।

उसे मालूम न हो प्यार क्या होता है,

जिंदगी में चाहतों का हाल क्या होता है,

इसीलिये छुपा लेता हूं गम अपना हंसकर,

वो बेवफा खुश रहे जिसे प्यार नहीं होता है।


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