।। दीवाने आये हैं ।।
।। दीवाने आये हैं ।।
आहटों के कुछ तो माने आये हैं ,
महफ़िल में लगता है दीवाने आये हैं ,
खोल दो सारे दरीचे आज बस तुम ,
मेरे वो सब गुज़रे ज़माने आये हैं ।।
रात तिनका तिनका यूँ गुज़रती है ,
जैसे माशूक के दीदार की घड़ियाँ,
रोक लो इस पल को जो हो मुमकिन ,
हम तो अपना सब कुछ गंवाने आये हैं ।।
वो तुम न थे वो नादानियाँ तुम्हारी थी ,
हद में थीं तो लगती बहुत ही प्यारी थीं ,
हो सके तो पलट के कुछ न अब कहना ,
आज हम टूटे रिश्ते बनाने आये हैं ।।
बात निकली है तो कह लूँ मन की ,
ये गुजारे पल समय के मोती हैं ,
तू भी समेट ले कुछ समेटता मैं भी ,
हम यहाँ कौन ज़र कमाने आये है ।।
थिरकते कितने अक्षर, मेरे दिल हैं ,
लिखूँ क्या क्या ये न समझूँ मैं,
अब राह कुछ मिल ही जायेगी ,
हर मौज ले कर तराने आये हैं ।।