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Dinesh paliwal

Others

4.5  

Dinesh paliwal

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।। दीवाने आये हैं ।।

।। दीवाने आये हैं ।।

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आहटों के कुछ तो माने आये हैं ,

महफ़िल में लगता है दीवाने आये हैं ,

खोल दो सारे दरीचे आज बस तुम ,

मेरे वो सब गुज़रे ज़माने आये हैं ।।


रात तिनका तिनका यूँ गुज़रती है ,

जैसे माशूक के दीदार की घड़ियाँ,

रोक लो इस पल को जो हो मुमकिन ,

हम तो अपना सब कुछ गंवाने आये हैं ।।


वो तुम न थे वो नादानियाँ तुम्हारी थी ,

हद में थीं तो लगती बहुत ही प्यारी थीं ,

हो सके तो पलट के कुछ न अब कहना ,

आज हम टूटे रिश्ते बनाने आये हैं ।।


बात निकली है तो कह लूँ मन की ,

ये गुजारे पल समय के मोती हैं ,

तू भी समेट ले कुछ समेटता मैं भी ,

हम यहाँ कौन ज़र कमाने आये है ।।


थिरकते कितने अक्षर, मेरे दिल हैं ,

लिखूँ क्या क्या ये न समझूँ मैं,

अब राह कुछ मिल ही जायेगी ,

हर मौज ले कर तराने आये हैं ।।


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