दीवाना
दीवाना
दीवाना बना हूं
जबसे तेरा
मुझे कोई होश नहीं
कहाँ हूं कैसा हूं
किस हाल मैं हूं
कोई रोष नहीं
ज़ीना हे मुझे जब तक
तेरी इनायत ना हो
तेरी मेहर हो
या फिर जान
निकल जाये
इंतजार उस पल का
करूँ तब तक
जब तक तेरी
हाँ ना हो जाये
जिस हाल मैं रखे
उस हाल मैं रह लूँ
बस तेरी कृपा का
हक़दार बना रहूँ
जाऊंगा कहाँ मैं
तेरे दर को छोड़कर
बस तेरे धाम का
राही बना रहूँ!