दीपक बनो
दीपक बनो




टूटी नाव,टूटी कश्ती
टूटा हुआ किनारा है
दुनिया के दलदल में,
रो रहा साहिल हमारा है
फिर भी चलते रहना है
कदम बढ़ाते रहना है
लगातार चलते रहने से,
निशान होगा हमारा है
यूँ रुकने से,यूँ थकने से
न मिलेगा चाँद-तारा है
सफल होना गर तुम्हें,
बनो दीपक तुम यारा है!