दीप से दीप जले
दीप से दीप जले
दीप से दीप जले,
सारे गिले शिकवे जले।
आओ प्रीत की दीप जलाएं,
अनुराग का सागर बनाएं।
तेरे गमों को बांटने कि मुझ में प्रकाश हो,
मेरे खुशियों में सरिक होने का तुझ में चाह हो।
दुष्ट भावनाओं को आज ही जला डालें,
स्वच्छ भावनाओं की रौशनी फैलाएं।
अनुशासन में रहने की तमन्ना हों,
भटकों को सही मार्ग दिखाने की जोत हो।
दीप से दीप जले,
मन में प्रेम ही पले।
हंसते हुए दिन है बिताना,
रजनी में स्फूर्ति के दीप जले।
बुराइयों का समूल नष्ट है करना,
दीप जलाकर यह सौगंध है लेना।
खुशियों से भरा अपना हो जहां,
प्रेम की दीप सदा ही जलती रहे।