ध्यान में
ध्यान में
ध्यान की गहराई में
पहुंचने के बाद
प्रथम बोध तो
ये हो रहा है कि
ध्यान में अब तक जो
मिला है
निष्प्रयोज्य है।
आग में झुलसती हुयी दुनिया में
आग बुझाने के उपक्रम
कितने सरल है।
शंकाएं तो अग्नि के हवाले हैं
ओर विश्वास आदमी की तरह
जीवन में घुल रहा है।