दहशत
दहशत
शांत लहराते जल में
धुंधली सी तस्वीर बनती है
अचानक अंधेरे में परछाई
धीरे धीरे वह यूं उभरती हैं
तेज हवाओं के साथ साथ
दहशत फैलती हैं हृदय में जब
आकाश में घिरे काले बादल
जोरों से बिजली कड़कती हैं
शांत जल में उठती हैं लहरे
हवाएं गाड़ी से तेज चलती हैं
आंखों के सामने एक पल में
विकराल रूप धारण करती हैं
गुम हो जाते है पक्षी सारे
प्रकृति जब रूप बदलती हैं
तहस नहस कर होती जिंदगी
जल्दी पटरी पर नहीं उतरती हैं