धर्म
धर्म
धर्म की बात सदा हो करते,
क्या धर्म को तूने जाना है।
प्रेम,करुणा,अहिंसा जैसे,
सद्गुणों को क्या पहचाना है।
धर्म तो प्यारा ये सिखाता,
जीवो से प्रेम करते जाओ,
वसुधा एक कुटुंब है प्यारा,
न शूल कोई यहाँ उपजाओ।
धर्म को जोड़ संकीर्णता से,
स्वार्थ भाव न उपजाओ,
प्रेम से से जो बने हो तुम,
सदा प्रेम ही करते जाओ।।