धोख़ा
धोख़ा
अपनी अपनी हैं जिंदगी यहां
अपनी अपनी हैं रिधम यहां
शनिवार तेरे इन्तजारमें यादें उभरी धोखा
जख्म करे नुमाइश नजर यहां रहे धोखा
बिखरते अस्तित्व में हिम्मत भरे धोखा
खुलके उडे जुडे पुराने पन्ने रिश्ते धोखा
पीड़ा से आज फिर कविता जन्मी धोखा।
अपनी अपनी हैं जिंदगी यहां
अपनी अपनी हैं रिधम यहां
शनिवार तेरे इन्तजारमें यादें उभरी धोखा
जख्म करे नुमाइश नजर यहां रहे धोखा
बिखरते अस्तित्व में हिम्मत भरे धोखा
खुलके उडे जुडे पुराने पन्ने रिश्ते धोखा
पीड़ा से आज फिर कविता जन्मी धोखा।