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Dr.Deepak Shrivastava

Abstract

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Dr.Deepak Shrivastava

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धन्यवाद

धन्यवाद

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धन्यवाद शब्द

करता अपने को

पराया

बताता दूरियां

रिश्ते 

नातों की

कराता परायेपान

का एहसास 

जैसे तू से तुम

तुम से आप

देता दूरियों का नाप

वैसे ही

आप से तुम ओर

तुम से तू कराता 

नजदीकियों का

एहसास

बना एक रिवाज़

ऐसा जो करता

धन्यवाद दे कर

एक दूजे का पास

कोई कहता दिल से

समझ नहीं आता 

दिल तो बिचारा

धड़कने के अलावा

कुछ करता नहीं

फिर दिल से

धन्यवाद कैसे

जताया जाता

आप अपना समझें

तो ना कहें

धन्यवाद

बाकी तो

सब ठीक हे

जैसा आपका

अपना मिजाज 



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