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Priyanshi Singh

Tragedy

3.9  

Priyanshi Singh

Tragedy

दहेज प्रथा

दहेज प्रथा

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एक पिता मजबूर है,

हाथ जोड़ना भी उसको कबूल है।

दूसरा गरूर से चूर है,

हाथ खुले है,

फिर भी पैसों का सुरूर है।

इनको तो बस प्रथाओं की प्रथा दहेज प्रथा का ही ज्ञान है।

बेटी को विदा करने के दुख से हर वो पिता चूर-चूर है।

पता नहीं, दहेज का यह कैसा सुरूर है,

दहेज के चक्कर में बेटियों की जान लेने पे भी यह रखते गरूर है।

सुन लो ओ दहेज के भूखों जाओ कोई और काम करो

और हर बेटे-बेटी का सम्मान करो।


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