देश पर कुर्बान होकर
देश पर कुर्बान होकर
देश पर कुर्बान होकर सो गए
वीर अपनी जान देकर सो गए।
भाल माता का नहीं झुकने दिया,
शीश अपना ही कटाकर सो गए।
दुश्मनों के सामने काँपे नहीं,
रक्त का कतरा गिराकर सो गए।
लाज माता की बचाने आज फिर,
लाश सरहद पर बिछाकर सो गए।
दुश्मनों से हार ना मानी कभी,
जान की बाजी लगाकर सो गए।
जो कसम खाई शहीदों ने यहाँ,
कर्ज माता का चुकाकर सो गए।
सैकड़ों वर्षों रहेगी याद जो,
वो कहानी खुद बनाकर सो गए।