डियर डायरी 30/03/2020
डियर डायरी 30/03/2020
कर्फ़्यू का छठा दिन
नवरात्रि की पूजा पाठ
सुबह उठने में बजे आठ
छिन गए दिन के सब ठाठ।
नहा धोकर जोत जलाई
मातारानी की आरती गाई
एक ही प्रार्थना मन में आई
करोना को भगाओ मेरी माई।
फिर आई नाश्ते की बारी
कटलैट ब्रेड की हुई तैयारी
सबकी फरमाइश कर दी पूरी
फिर बर्तनों की आ गई बारी।
फोन पर मैसज आ रहे थे
बच्चे असाइनमेंट चाह रहे थे
मैथ का क्विज़ व राज्यों के नाम
ग्रुप में डाल लग गई अन्य काम।
सुबह की देरी भारी पड़ी
सफाई करने में दोपहर हुई
तभी सब्जी वाले की सीटी बजी
दौड़ सोसायटी गेट पर गई।
शुक्र है हम सोसायटी में रहते
सब चीजों आराम से हैं पाते
कर्फ्यू के चलते भी घुटन से बचते
घर में ही सब सामान लेते हैं ।
दोपहर फलों से काम चलाया
स्कूल के बच्चों का क्विज़ बताया
कुछ गप्पें ,कुछ आराम
ऐसे हो गई आज की शाम।
दाल रोटी, सादा भोजन
जल्दी से निबटाया डिनर
वाशिंग कपड़े सुखाना भूली
बेटे के साथ उस काम में जुटी।
देर तक सोना नहीं है अच्छा दोस्तो
हर काम में होती है देर दोस्तो
सच कहूँ सुबह शाम की चाय न भायी
दोनो बार किचन में खड़े ही पी पाई।
11 बजे के बाद हुई फ्री
फिर मैं बैठ लिखने लगी
फिर एक अच्छी चाय बनाई
डियर डायरी याद आई।
सोचा पहले कोटस लिखूँ
अपना रूटीन न ब्रेक करूँ
बस तब से मैं लिखे जा रही हूँ
कभी बैठी कभी लेटे जा रही हूँ।
हाथ पीठ अब थक चुके हैं
लिखने को बाते अभी बहुत हैं
पर देती हूँ लेखनी को विराम
कल दौबारा मिलेंगे, जय सीया राम।