ढूँढ रहा मैं उन रंगों को
ढूँढ रहा मैं उन रंगों को
रंग भगवा हिन्दू बन गया,
हरा रंग मुसलमान
कोई रंग तो भरा ही होगा,
कुदरत ने इंसानियत के नाम !
कोई रंग तो ऐसा होगा,
पसंद दोनों की रहीम या राम !
एक हवा हो,एक फ़िज़ा हो,
एक ही नीला आसमान !
ढूँढ रहा हूँ उन रंगों को,
ना बने जो धर्म की पहचान,
प्राणी को प्राणी से जोड़े,
रंग दे धरती एक समान !