दौड़ दौड़ ..तू दौड़ता जा ।
दौड़ दौड़ ..तू दौड़ता जा ।
दौड़ दौड़ दौड़ तू दौड़ता जा
रोक ना अपने कदम बस तू
दौड़ता जा
जो ललचा रहा है तुझे दूर से
वो तेरी मंज़िल नहीं एक छलावा है
ले जाए तुझे जो बुलंदी तक
वो एक जीत तेरी काफी नहीं
दिल में है तेरे अब भी कई ख़्वाब बाकी
सिर पर जुनून अब भी सवार है
रुक गया अब जो तू थक हार के
तो एक जिंदा लाश बनकर रह जाएगा
दुनिया की बात तो है बाद में
यह सोच खुद से कैसे नजर तू मिलाएगा
हो खड़ा तुझ में छुपी है लालिमा
पहचान खुद को ज़ोर से फिर दम लगा
एक मोड़ से पीछे रह गया
तो क्यों है निराश तू
एक मोड़ आगे भी आएगा
उस पर बना मिसाल तू
पैरों में फिर होगी अग्नि
सीने में होगी धधकती ज्वाला
टूट जाएगी फिर हर एक बंदिश
दौड़ जब तू अपने ख्वाबों की और लगाएगा
दौड़ दौड़ दौड़ तू दौड़ता जा
रोक ना अपने कदम बस तू दौड़ता जा ।।