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Ashok Goyal

Abstract

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Ashok Goyal

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चुरा ले गया कोई

चुरा ले गया कोई

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बिस्तर से मेरे मुझको, उठा ले गया कोई

कल रात मुझको, मुझसे चुरा ले गया कोई।


 बर्बादियों का मेरी तमाशा तो देखिए

ख़ूँ से मेरे चराग़ जला ले गया कोई।


इतनी तवील रात कि घबरा गया हूँ मैं

लगता है अब तो दिन भी बुझा ले गया कोई।


इक जान थी हमारी, यूँ लुटने के नाम पर

हम तो फ़क़ीर थे, बता क्या ले गया कोई।


अम्नो -अमाँ न अब कहीं चर्चे हैं इश्क़ के

दुनिया से खुशबुएँ वो फ़ज़ा ले गया कोई।


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