चन्द टुकड़े
चन्द टुकड़े
तन टुकड़े, मन टुकड़े,
मंदिर -मस्जिद, गुरुद्वारा,
सब टुकड़े,
टुकड़ों में है बांटा जिसने,
कोई और नहीं,
अपना ही एक
टुकड़ा है।
किसी ने सीने पर गोली खाई,
किसी ने तन पर लाठी।
चढ़ा दिया किसी को सूली पर,
झूल गया कोई फांसी।
मर मिटे बहुत,
मिटा दिया बहुतों ने सब कुछ।
अंजाम मिला बस चन्द टुकड़े,
तन टुकड़े,मन टुकड़े
और देश के टुकड़े।
पा लूँ में सब कुछ,
बस यही बयां है,
बेचैनी कुछ ऐसी,
ऐ- इंसा,
ये तुझे क्या हो गया है ?
सागर पास है,
एक बून्द की है प्यास,
न जाने किस मोह में हो जकड़े,
भाव ने ऐसे ही दिए हैं दुखड़े,
तन टुकड़े, मन टुकड़े,
और घर टुकड़े I