चलो कुछ दूर चलते हैं
चलो कुछ दूर चलते हैं
चलो कुछ दूर चलते हैं
चलो कुछ दूर चलते हैं
जहाँ कुछ शोर तलब ना हो
एक तुम हो एक मैं हूँ
हम में कोई अलग ना हो
तुम बाहें फैलाकर मेरा
राहों में इंतजार करो
मैं तड़प उठूं मिलने को तुमसे
इतना मुझे तुम प्यार करो
मैं दुआ करूँ, दीदार में तेरे
मेरी बंद पलक ना हों
चलो कुछ दूर चलते हैं…
तुम ताज़ की शहज़ादी बन जाना
और चुपके से मुझे गले लगाना
ना जुदाई हमारी हो किश्मत
है अलग जहाँ, है अलग ठिकाना
मैं कलम उठाऊँ, तो तेरे जैसी
कोई और गज़ल ना हो
एक तुम हो, एक मैं हूँ
हम में कोई अलग ना हो
… भंडारी लोकेश ✍🏻