चित्राधारअंबर को मनमीत
चित्राधारअंबर को मनमीत
अंबर को मनमीत बनाया शिक्षा को गीत बनायेंगें।
गुरू जनों की प्रेरणा पाकर ज्ञान की ज्योति जलायेंगें।
शिशु सम यह जीवन है अपना।
संभावित भविष्य की रही कल्पना।
सरस्वती का स्मरण है प्रतिदिन।
करें पढ़ाई वर्णमाला को गिन गिन।
गुरुओं का सम्मान करेंगें वो तो कल्यान करेंगें।
नित नित सबको शीश झुकायेंगें।
गुरू जनों की प्रेरणा पाकर ज्ञान की ज्योति जलायेंगें।
रहता विद्या बिन व्यक्ति अधूरा।
शिक्षक ही सब कुछ करता है पूरा।
सदा सत्य अहिंसा मार्ग दिखाता।
मानवता का पाठ सदा पढ़ाता।
सत्कारी हूँ आभारी मैं हूँ जीवन भर।
परोपकारिता स्नेही भाव दिख कर।
हर मुश्किल में भी सबके संग मुस्कायेंगें।
गुरू जनों की प्रेरणा पाकर ज्ञान की ज्योति जलायेंगें।