छला गया
छला गया
जब जब मैंने किया भरोसा, तब तब छला गया।। जिस पथ पर पग धरे न कोई, उस पर चला गया॥
कष्टों को भी सहकर मैंने, कभी न छोड़ा कर्म।। दुखी नहीं हो कोई अपना, सदा निभाया धर्म॥
जिसे बचाया जगत ताप से, वह ही जला गया।। जब जब मैंने किया भरोसा, तब तब छला गया॥
अपना साथी जिसको माना, उसने छोड़ा साथ। आया मेरा कठिन समय जब, करके गया अनाथ॥
समझ सका न भाव को मेरे, वह भी भला गया।। जब जब मैंने किया भरोसा, तब तब छला गया॥
भूल गया मुझको वह भी अब, जो बनता था मित्र। तोड़ दिया उन रिश्तों को भी, जो था सदा पवित्र॥
नहीं हमारे घावों पर ही, मरहम मला गया। जब जब मैंने किया भरोसा, तब तब छला गया॥