चेहरे पर कई चेहरे
चेहरे पर कई चेहरे
चेहरे पर कई चेहरे चढ़े हो कैसे सही पहचान
संशय में उलझे व्यक्ति कैसे हो सकते महान
अस्मिता अब सत्य की घिरी सवालों के बीच
संक्रमण काल बदस्तूर बोलें सब आंखें मीच
औंधे मुंह अब गिर रहे मानवीय मूल्य
सरेआम मनमानी में संलग्न सतत राजनेता औ बड़े हुक्काम
सियासी प्रयोगशाला में बदल चुके देश के शिक्षा संस्थान
ऐसे में कैसे वे रच सकेंगे और कोई नया आख्यान।