चैत्र मास
चैत्र मास
हर आँगन नव दुर्गा के मंडप सजते
पूजा अर्चना से देवी के दर्शन होते।
मर्यादा पुरुषोत्तम की सवारी आई है
चैत्र मास में आनंदित हुई पुरवाई है।
प्रकृति में नयी उर्जा का संचार है
ऋतु संग बदलता हर उपचार है।
वसंत में सजी धरा का नया रूप है
लहलहाते अनाज का नया रूप है।
सृष्टि पावन होकर सजती संवरती
दिव्यता हर आत्मा मैं है झलकती।
माधुर्य और सौभाग्य की संधि होती
तब सृष्टि चैत्र का मंगल गीत गाती।
हिन्दू नववर्ष का होता आगाज़ है
हर कर्म में कर्तव्य की आवाज़ है।