चांद का कसूर
चांद का कसूर
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चांद का कसूर देखो खुद
अंधेरे में रहकर
दूसरों को रोशनी में रखा।
जिस दिन रूठ जाता
उस दिन अंधेरा छा जाता
किसी दिन छोटा
किसी दिन बड़ा होकर
अपना रूप बदलकर
दूसरों को हंसाता।
हम चाहे जिस हाल में हो
उस हाल में खुश रहना सीखें
परेशानी तो सबको आती है
इसका मतलब यह नहीं कि
हम हार मान ले।
हम जीत रहे तो
इसका गुमान कर ले
सीखो चांद से अमावस्या की रात
अंधेरी पूर्णिमा की रात
रोशनी क्यों होती है।
इसलिए यह सबक मिलता है
कभी खुशी कभी गम
परेशानी सबकी जिंदगी में आती है।