चाहत
चाहत
थिरकना चाहती हूँ तेरे लबों पे मुस्कान बनके
मचलना चाहती हूँ तेरी बाँहों की मौज बनके
बिखरना चाहती हूँ तेरी गज़लों के अल्फ़ाज़ बनके
सिमटना चाहती हूँ तेरी नज़रो मे ख़्वाब बनके।
थिरकना चाहती हूँ तेरे लबों पे मुस्कान बनके
मचलना चाहती हूँ तेरी बाँहों की मौज बनके
बिखरना चाहती हूँ तेरी गज़लों के अल्फ़ाज़ बनके
सिमटना चाहती हूँ तेरी नज़रो मे ख़्वाब बनके।