चाहत
चाहत


तुम्हें मेरी फ़िक्र नहीं
इसलिए,
मैं भी करती कभी
तुम्हारा ज़िक्र नहीं
हमेशा रहो तुम खुश
यहीं मैं दिल से चाहती हूं
यहीं दुआ मैं रब से
हर रोज़ माँगती हूं
चाहत में हो तुम
एहसासों में तुम
नजारों में तुम
जहान में तुम
तुम हर जगह हो
सिर्फ मेरे पास नहीं...