चाहकर भी
चाहकर भी
चाहकर भी दिल से तुम्हें हम।
तुम्हारे ना हों सकें कभी हम।
हमारे ज़ख़्म अब भी है गहरे।
वहीं पुराने भर ना पाएंगे हम।
तमन्ना आरज़ू हमारी जब तुम।
तुम्हें हासिल करना सके हम।
गहरा दिल का ज़ख़्म हों तुम।
लगा मरहम घाव पे जो हम।
चाहकर भी दिल से तुम्हें हम।
तुम्हारे ना हों सकें कभी हम।
हमारे ज़ख़्म अब भी है गहरे।
वहीं पुराने भर ना पाएंगे हम।
तमन्ना आरज़ू हमारी जब तुम।
तुम्हें हासिल करना सके हम।
गहरा दिल का ज़ख़्म हों तुम।
लगा मरहम घाव पे जो हम।