बूढ़ा नहीं हूँ मैं !!!
बूढ़ा नहीं हूँ मैं !!!
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बूढ़ा नहीं हूँ मैं
चेहरे को देखा लगा बूढ़ा हो रहा हूँ मैं
पर मेरी मुस्कान अभी भी जवान है।
हर कोई समझता है अब मैं बूढ़ा हूँ
लाचार न कोई अरमान न कोई चाह
बस साँसों को गिनता शून्य की ओर बढ़ता
एक दिन हो जाऊँगा विलीन इसी शून्य में
पर मैं नहीं हूँ बूढ़ा
क्या हुआ मेरा तन हो गया कुछ कमज़ोर
मेरा मन अब भी है मजबूत
एक पत्थर की चट्टान सा
शून्य तक पहुँचने से पहले
नहीं मानूँगा हार क्योंकि
मैं तन से बूढ़ा हूँ मन से नहीं।