बसन्त ऋतुओं की रानी
बसन्त ऋतुओं की रानी
1 min
243
यह बात सभी ने मानी।
बसन्त ऋतुओं की रानी।।
कलियों ने घूंघट खोला,
लदपद फूलों से डाली।
बसन्त में कोपल आई,
छाई चोगरदे हरियाली।
महकी-महकी बहे हवा,
अमृत सा लगता पानी।
बसन्त ऋतुओं की रानी।।
धुंध हटी कोहरा भागा,
सूरज ने ली अँगड़ाई।
बसंत ऋतु की आभा से,
आँगन में खुशियां आई।
मस्ती में भरकर देखो,
कूके कोयल मस्तानी।
बसन्त ऋतुओं की रानी।
दिन बढ़ते घटती रातें,
परिवर्तन मन को भाया।
बसन्त की मादकता से,
आनन्द जीवन में छाया।
नए रंग रूप से कुदरत,
सजी हुई है दीवानी।
बसन्त ऋतुओं की रानी।।