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Vijay Kumar

Tragedy

4.5  

Vijay Kumar

Tragedy

बरसात का पानी

बरसात का पानी

1 min
434


वो बारिश का रिमझिम बरसता पानी

एक घर की कुछ यूं दिखी कहानी

रात के सन्नाटे में जब बच्चे सुन रहे थे कहानी

हुई एक आसमानी गरज और बरस गया पानी,


पलकों से तब नींद भी हुई आनी - जानी

जब छत से टपकने लगा वो बरसता पानी

कहीं बाल्टी, कहीं लौटा तो कहीं बर्तन बिखरे हुए

बूंदों की टप्प - टप्प को वो अपने अंदर समेटे हुए,


आसमान की हर गरज पर वो परिवार कांप जाता

बड़ों का हाथ यदा - कदा सलामती के लिए उठ जाता

वो शाम वो रात वो पल किसी के लिए नहीं हुई सुहानी

कहीं बिखरे सपने और कहीं पालकों में छोड़ गया पानी, 


दिन के उजाले में कहीं मचल रहा था बच्चों का अरमान

 डूबे खेत खलियान और न बचा खाने का कोई सामान

दूर कहीं पानी में तैर रहे थे कागज की कुछ कश्ती

इस बरसते बादलों ने डूबा दी एक पूरी बस्ती,


वो बारिश का रिमझिम बरसता पानी

एक घर की कुछ यूं दिखी कहानी, 

भयावह था मंजर और चारो और फैला था पानी

तैरते किताबों संग किसी की तैर रही थी कहानी


इस बारिश की न थी कोई मस्ती न थी कोई दिवानी

बरसात के साथ बरस रहा था किसी की आंखों का पानी।


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