बोतल और जाम
बोतल और जाम
बोतल ने कहा ये जाम से
तुझे देखती हूँ शाम से
टकरा के तुम तुम खनक रहे
नशे भरें छलक रहे
तश्तरी में सज रहे
सबके होश ठग रहे
मेरे से उधार माँग के नशा
उड़ा रहे हो आराम से
बोतल ने कहा ये जाम से
तुझे देखती हूँ शाम से
जाम ने फिर दिया जवाब
क्या कर रही मुझसे हिसाब
हमारा क्या है दिलरुबा
तुझ में समाया सब नशा
तुने दान थोड़ा जो कर दिया
ख़ाली पैमाना जो भर दिया
ख़ुशी के मारे छलक गए
दोस्तों को मिले तो खनक गये
प्यासे फिर भी रह गए
नशे भरे बस नाम के
बोतल ने फिर से कहा ये जाम से
तुझे देखती हूँ शाम से
कुछ पलों की बात है
ख़ाली फिर गिलास है
समझ भी न तुम पाओगे
कहाँ पे रखें जाओगे
बस नाम ही के हो नवाब
भीख में माँगो शराब
मैं मना करती नहीं
जो जुड़ी हूँ तेरे नाम से
पैमाने ने फिर कहा
तू नहीं तो मेरा काम क्या
जो मय नहीं तो फिर जाम क्या
जो पैमाना नज़र भी ना आएगा
बोतलों से काम चल जाएगा
हम जो ख़ाली हुए तो झटके गए
इधर उधर पटके गए
हमको कहाँ, कौन याद करे
सब तेरी ही फ़रियाद करें
तूँ महफ़िलों की रानी है
जाम तो हैं ग़ुलाम से
बोतल ने कहा ये जाम से
तुझे देखती हूँ शाम से।