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Tulika Das

Classics Inspirational Others

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Tulika Das

Classics Inspirational Others

बॉडी शेमिंग

बॉडी शेमिंग

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तन की परिधि से

मन की परिधि को ना नापो

उम्र को सिर्फ अंको से ना आंको।

देखो जब अपने को आईने में


गर्व और विश्वास हो नजरों में

पहले खुद को तो स्वीकारो मन से

बढ़ती उम्र और फैले हुए तन

न अपनाओ तुम खुद को शर्म से

पहचान है यह तुम्हारी स्त्री होने का

एक अल्हर लड़की से जिम्मेदार मां होने का।

उम्र जो हुई सोलह से तीस


तो क्या हुआ ?

जो छब्बीस की कमर हुई छत्तीस

चश्मा भी आंखों में आने को आतुर

पर क्या दिखता नहीं तुम्हें

अनुभव है आंखों में भरपूर

धारियां तुम्हारे तन पर पड़ी


नये जीवन की सृष्टि दिखाती है

ये भरा हुआ तन

मां बनने की गाथा कहती हैं

नहीं शर्म की यह कोई बात नहीं

मोटापा तन का कोई गुनाह तो नहीं


बेटी  बहन बहु मां

जानें पड़ाव कितने पार तुम करती हो।

हर रिश्ते हर जिम्मेदारी को

खुशी से तुम ओढ़ लेती हो

तो वजन बढ़ने की बात पर शर्मिंदा क्यों होती हो ?


वजन तुम्हारा

तुम्हारी पहचान नहीं

तुम्हारी पहचान हो तुम स्वयं ही

न शरमाओ तुम खुद से


जब देखो आईना।

तुमसे अच्छी कोई मिलेगी नहीं

"बॉडी शमिंग "- वह क्या होती है ?

पूछेगी आईने में मुस्कुराती छवि तुम्हारी।


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