बंदिशें
बंदिशें
बंदिशें, कितनी कठिन सी लगती
जिंदगी के हर रंग में चुपके से आ जाती।
कभी खुशी में आकर उसे चुरा ले जाती,
कभी गम में आकर आँसू छुपा देती।
ये बंदिशें बड़ी ही बेमुरव्वत सी होती,
कभी ज़िम्मेदारियों की बड़ी बंदिशें,
हमसे हमारा बचपना छीन लेती।
उम्र से पहले संजीदा कर सदा हमारी
चहचहाहट और हँसी छीन लेती।
कभी ये बंदिशें मित्रवत है हो जाती,
सही गलत का राह हमको दिखाती।
गलत जो राह लगे जीवन की हमें
उस राह पर है नहीं कभी लेकर है जाती।
बंदिशें नियमों की कानूनों की सदा ही,
हमें अनुशासन में जीना है सिखाती।
बंदिशें सामाजिक रीतियों मान्यताओं की,
कभी बेवजह है रोड़े अटकाती।
लाख बंदिशें लगे जमाने की,
प्रतिभा की उड़ानों को कहाँ रोक पाती।
पर कतर दे भले ही किसी भी तरह,
पर आसमान को छूने से नहीं है रोक पाती।