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Nand Kumar

Abstract

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Nand Kumar

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बंदिशे

बंदिशे

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जिदंगी में हम सदा ही स्वयं को,

स्वच्छंद रखना चाहते है।

बंदिशे लगती बुरी असहाय हो,

 बंदिशो को तोड़ना ही चाहते है।।


बंदिशें बुरी नहीं नजरिया बदलो,

बंदिशों में दुख नहीं सुख पाइए।

बंदिशों को बना साथी साथ चल,

जिंदगी को फूल सा महकाइए।।


बंदिशों से ही हमारा आचरण,

व्यवहार बदलता रहता है ।

स्वछन्द सदा ही जीवन के,

पथ पर चलता औ गिरता है।।


माता पिता गुरू दे आज्ञा सदा,

दृष्टि रख करे निरीक्षण।

रह बंदिश रख समझ चले जो,

पाता वो सुख ही है हर क्षण।।


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