बिसर चुके रिश्तों के
बिसर चुके रिश्तों के
बिसर चुके कुछ रिश्तों के रिश्तेदार की तरह
मुख़ातिव आज फिर तेरे कर्ज़दर की तरह।।
ब्याज का हिसाब न रख , मैं भी रखता नहीं
पैठ किश्त हूँ मैं पहली तारीख की तरह ।।
सुलुकों की सलीका उनको मालूम कहाँ
ज़िंदगी जिनकी किसी बदसुलूकी तरह।।
ख़्वाबों की नाशिव जुगनुओं को नहीँ होता
रातें गुज़रती जिनकी पहरेदार की तरह ।।
मोतियाँ हैं बहुत इस समंदर में बामन
तलाश रखो किसी जिद्दी जासूस की तरह।।