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Kunda Shamkuwar

Abstract Others

4.7  

Kunda Shamkuwar

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बिना शीर्षक वाली कविता

बिना शीर्षक वाली कविता

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सरकार क्या है ?

संसद में बैठे नेता गण..... 

खुद को महानायक से कम ना समझने वाले लोग.....

इन्हें कभी भी कमतर समझने की ग़लती मत करना.....

यही तो है वे महानायक है जो हमे विश्वगुरु बनाने जा रहे थे....

और देश की इकॉनमी को फाइव ट्रिलियन भी...

फाइव ट्रिलियन इकॉनमी कम नही होती है जनाब.....

देश का हर व्यक्ति अब पेट भर खाना खाकर चैन की नींद सो पायेगा....


इन महानायकों ने कभी छोटी बात नही की....

हर बार बड़ी बड़ी बातें....

छप्पन इंच सीना फुलाकर कभी जी 7 और यू एन की बातेें. .  

तो कभी सिक्योरिटी कॉउन्सिल की स्थायी सीट की बातें....

मुल्क के लिए उनके ढ़ेर सारे नेक इरादें थे....

डिजिटल इंडिया....

स्वच्छ इंडिया....

स्टार्ट अप इंडिया...

स्टैंड अप इंडिया....

फिट इंडिया....

मुद्रा इंडिया....

स्मार्ट सिटीज वाला स्मार्ट इंडिया...

आयुष्मान भारत....


देश सुपर पावर बनने की राह पर चल रहा था....

चंद्र यान....

मंगल यान...

नाविक सॅटॅलाइट....

हम सारे देशवासी आसमाँ में उड़ने लगे..

विश्वगुरु वाले देश की दूसरे मुल्कों के लिए वैक्सीन डिप्लोमेसी...

सारी दुनिया वैक्सीन डिप्लोमेसी को संजीवनी डिप्लोमेसी कहने लगी....

सारी दुनिया महानायक की कायल हो गयी थी....

इस डिजिटल इंडिया में पेट्रोल भी 100 जैसा डिजिटल हो गया...

इस डिजिटल इंडिया में हर काम की अलग एप बनने लगी...

देश के इस गौरव गान में मीडिया भी मसरूफ हो गया...

प्रिंट मीडिया...सोशल मीडिया..... इलेक्ट्रॉनिक मीडिया.....

मीडिया में सिवाय रोटी और नौकरी की सारी बातें होने लगी.....

फैशन....टीवी.... सीरिअल्स...फिल्में.... वायरल खबरें....


महानायक नही तो कौन?

यह सवाल हमें बगलें झाँकने पर मजबूर करने लगा...?

एकसौ तीस करोड़ लोगों मे हमे कोई और नज़र ही नही आता था...

महानायक है तो मुमकीन है....

घर घर मे महानायक.... हर घर में महानायक....

यह कोई नारा नही था बल्कि यह मंत्रघोष था.....

जय श्रीराम भी किसी शंखनाद से कम नही था...

कभी राम मंदिर....

कभी इलेक्शन...

सब कुछ सही चल रहा था.....

इमेज बिल्डिंग भी हो गयी...


लेकिन यह क्या?

कोरोना की सेकंड वेव में जैसे सब कुछ तहस नहस हो गया....

विश्वगुरु के पास अब दूसरे मुल्कों से मदद आने लगी....

आयुष्मान भारत में अब शमशान कम पड़ने लगे....

शमशान में वेटिंग ?

सही पढ़ा है.....शमशान में भी वेटिंग  होने लगी....

और तो और बहती लाशें भी नदियों में दिखने लगी.....

खाने के लिए कभी रोटी नही हुआ करती थी....

अब जीने के लिए ऑक्सिजन भी मयस्सर नही हो पा रहा...

अब डिजिटल इंडिया में वन कम और ज़ीरो ज्यादा दिख रहे है.....


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