बिखरा रिश्ता
बिखरा रिश्ता
एक रिश्ता मेरा कुछ ऐसे बिखर गया,
ढूंढा तहे दिल से, पर फिर भी खो गया,
जिंदगी की कशमकश ने कुछ यूं हमे घेरा,
ढूंढ रहे है हरपल हम, वो छूटा साथ तेरा,
काश मिल जाओ तुम किसी रिश्तों भरे मेले में,
फिर थाम लो हाथ मेरा, तुम अकेले में,
उलझी हुई डोर को चलोना फिर सुलझाते हैं,
मान भी जाओ साजन, चलो फिर मुस्कुराते हैं,
फिर नई एक डोर में प्यार की गांठ लगाते हैं,
आओ मेरी जान सब भूल के फिर से एक हो जाते हैं।