बिछडकर भी जुदा ना हुए ♥
बिछडकर भी जुदा ना हुए ♥
बपन से जवानी तक एक सफ़र,
पहली दफ़ा जब वह मिली उससे,
एक नफ़रत सी आग थी,
उन दोनो के बीच एक गहरी टकरार थी,
वो लडते झगड़ते- वो मिट्टी सी टकरार थी,
दिल ही दिल मे प्यार पनपने लगा,
वो नफ़रत दोस्ती मे बदलने लगी,
धीरे धीरे दिल धड़कने लगा,
उनमे प्यार बढने लगा,
वो चाँद तो वो उसकी चान्दनी,
वो दीया तो वो उसकी बाती,
वो कलम तो वो उसकी स्याही,
दो जिस्म पर एक जान थी,
ज़िन्दगी ने ऎसा खेल रच डाला की,
दोनो एक दूजे से दूर हो चले,
दूर तो थे पर आत्मा एक थी,
याद उन्हे एक दूजे की याद आती थी,
रात मे जब याद आती थी,
तो चाँद मे तुम्हारा चहरा नजर आता था,
दिल से दिल का कनेक्शन ऎसा था जुडा एक दुजे की
आहट पहले ही जान जाता था वो दिल,
चोट एक को लगती दर्द दोनो होता,
दूर कितने भी थे मगर दिल एक था,
हर रोज खुदा से एक दुजे से मिलने की वो अरदास करते थे,
कहते हैं खुदा के घर देर है अंधेर नहीं,
वो मिले एक अनजाने सफ़र मे,
दिल तो पहचान गया पर वो ना पहचान पाए एक दूजे को,
क्योंकि जब वो मिले थे तो छोटे थे अब बडे हो गए,
ना जान पाए फ़िर भी एक दूजे से प्यार कर बैठे,
एक अनजानी सी शाम जब मिले तो जानने लगे हम कौन है,
हम वो बचपन के साथी है,
जो एक वक्त बिछड गए,
पर कायनात की वो कहानी,
उन्हे एक कर गयी।