भूतकाल को भूल
भूतकाल को भूल
भूतकाल को भूल जाएं और वर्तमान का अवश्य रखें ख्याल।
इस काल को सुरक्षित रखकर ही खिला पाएंगे अपने गाल।।
बीते हुए समय ने हम विद्यार्थियों को बहुत कुछ सिखाया।
काल करे सो आज, आज करे सो अब का भेद समझाया।।
समय की कद्र करना तो आखिर सदियों से ही चला आया।
किंतु हम नासमझों को भला आज भी कहाँ समझ आया।।
समय की निरंतर बढ़ती जा रही है चाल।
पता नहीं हमारे कब बदलेंगे ख्याल।।
अपने भीतर रहे हैं हम सुस्ती को पाल।
फिर कैसे मिला पाएंगे ताल से ताल।।
स्वरचित कविता के माध्यम से यही समझाना चाहती हूँ।
यथासमय कार्य कीजिए बस यही बतलाना चाहती हूँ।।
बीता हुआ समय अब हाथ नहीं आने वाला है।
भूतकाल को भूल भविष्य रंग लाने वाला है।।