भूतहा खंडहर में।
भूतहा खंडहर में।
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फैंटेसी की दुनिया केवल काल्पनिक होती सदा यारों,
फैंटेसी की दुनिया में कल्पना ज़्यादा होती सदा यारों।
वीरान रातों में भूतहा खंडहर में जैसे ही बारह बजते,
सफेद चादर पहन टहले वो लोग जो रातों को जागते।
मुझे भूत प्रेत आत्मा समझकर हनुमान चालीसा बोलते,
सिट्टी पिट्टी गुम होती जो मुझे भूत प्रेत आत्मा ही सोचते।
सिर पर मोमबत्ती जलती देख भयानक हँसी सुन डरते,
सफेद चादर उतारते देख सब यही कहते बस करो यार।