भूली सी दास्तान
भूली सी दास्तान
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गुजरे हुए ज़माने की यादें
हर पल नजरो के सामने आ जाती है
वो भूली सी दास्तान क्यों
हम को फिर याद आ जाती है
इन यादों से जितना
दूर जाने की कोशिश हम करते है
ये यादें उतनी ही
और करीब आ जाती है
तुझसे बिछड़े हुए हम को ज़माना गुजरा
फिर भी हमको ये किस्सा आज का लगता है
क्यों ये यादें पीछा नहीं छोड़ती
मेरा क्यों ये दिल मे घर बनाये बैठी है
जाने कब इन यादों से पीछा छूटेगा
जाने कब हम चैन से सो पाएंगे