बहू -बेटियां
बहू -बेटियां
छोटी सी बात पर रो देती हैं
छोटी सी खुशी मिलते ही,
हज़ारो ख्वाब संजो लेती हैं।
बहु-बेटियां घर की खातिर,
अपना सर्वस्व खो देतीं हैं।
लालच इनको धन का नहीं,
सम्मान का होता है।
सपना इनको महलों का नहीं,
घरवालों के मान का होता है।
अपने सब दुख -दर्द को
मोतियों सा पिरो लेती हैं
बहु - बेटियों से जो चाहो
बिन सोचे ये वो देती हैं
घर की ही खातिर,
सर्वस्व खो देती हैं।