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Vimla Jain

Abstract

4.3  

Vimla Jain

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बहुरूपी पर्दा

बहुरूपी पर्दा

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अजी यह पर्दा बड़े काम की चीज है।

पर्दे के अंदर कर लो तुम कुछ भी काम ।

कोई नहीं जानेगा तुमको कि,

तुम हो कितने शातिर कितने बदमाश।

हकीकत में हो तुम ऐसे 

पर्दे के बाहर की दुनिया में अपने आप को प्रतिस्थापित करते जैसे।

बहुत हो धनवान।

बहुत परोपकारी 

बहुत दानवीर

 बहुत हो गुणवान।

 बहुत धर्मवीर।


क्योंकि तुम अपने आप को ऐसा ही दिखाते हो,

दुनिया की आंखों पर पड़ी है पट्टी ।

तुमको वैसा ही समझते हैं। मगर भगवान के घर देर होती है अंध

ेर नहीं ।

जब खुलती है वह पट्टी।

जैसे ही तुम्हारे काले कारनामे खुलते हैं।

वही लोग तुमको जूतों से पीटते हैं। 

और कानून के तंत्र में फंस कर जेल की हवा कम खाते हो।

पर्दे के पीछे रहकर जो काम करे हैं उनका फल तुम खाते हो।

इसीलिए कहती है विमला काम ऐसे करो जिसमें कोई पर्दा ना हो ।

लोग तुमको वास्तविकता में वैसा ही जाने जैसे तुम हो।

 कभी ना ऐसा समय आए कि लोग तुमको नकारे ।

और तुम्हारे पर थू थू करें।

 छवि तुम अपनी ऐसी बनाओ

 कि सब तुम्हारा आदर करें।


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