भ्रूण का रोना
भ्रूण का रोना


पिता, ओह!
प्रिय पिता,
मैं तुम्हारी बेटी हूँ।
आपने मेरे दो भाइयों को पाला,
मुझ पर,
मेरे लिए क्यों (?) बदले हुए हो पापा।
क्या (?) मैं एक लड़की हूँ।
मेरी क्या गलती है पापा?
बल्कि मुझे,
मेरे जीवन का कारण बताओ!
और कृपा कर मुझे जीने दो पापा।
मेरी माँ को साद होने के लिए मजबूर मत करो।
अगर मेरी अप्राकृतिक मृत्यु हो तो,
इसके जिम्मेदार आप और ये समाज होगा।
मेरा भाई क्या (?) कर सकता है।
मैं भी कर सकती हूँ पापा।
मैं विपरीत परिस्थितियों में,
आपके साथ खड़ी रहूंगी।
यह मेरा वचन है,
पिता मेरे ऊपर विश्वास करो,
मेरे सपनों को
टूटने मत देना,
कृपा करो पिता।
हे मेरे प्रिय समाज,
भेदभाव की दीवारें तोड़ो
मैं ईश्वर की विशेष रचना हूँ।
मुझमें देवी-देवताओं ने लिया बार बार अवतार।
सरस्वती, दुर्गा और लक्ष्मी का मत कर तिरस्कार।
मैं उतनी ही स्वच्छ और पवित्र हूँ,
मुझे इस दुनिया में कदम रखने दो;
मेरी विनती सुनो पिता,
ओर मेरे प्रिय समाज।
मैं माँ की छाती से चिपकना चाहती हूँ।
और उसके प्यार के दूध का स्वाद लेना चाहती हुँ।
मैं आपके पिता के स्नेह को, महसूस करना चाहती हूँ।
और देखना चाहती हूँ,
अँधेरी कोख के बाहर की दुनिया।
उससे पहले मुझे मत मारो पापा,
हे मेरे प्यारे समाज।।