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Nand Kumar

Tragedy

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Nand Kumar

Tragedy

भरोसा टूट जाता है

भरोसा टूट जाता है

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भरोसा किसी का रहा अब नही, 

किया जिनका था अब न दिखते कहीं ।

नाराज होगे न जब तक है दम,

तोड़गे रिश्ते न खाते कसम।

तुम्हारे लिए कोटि लेगे जन्म, 

मेरा जिस्म और रूह तेरी सनम।

ऐसी करे प्रेम मे बात सब,

मगर स्वार्थ मे कौन डूबेगा कब।

इस पता है न इसकी खबर, 

तोडेगी तट कौन सी कब लहर।

सभी है यहां लूटने को खड़े, 

धन चैन सुख हाथ जो भी पड़े।

स्वार्थ मे पड़के जब से अन्धे हुए,

गया प्रेम पाए है अब दुख नए।

परहित की जब तक न सोचेंगे हम,

मिटेगे न तब तक ये जुल्मो सितम।


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