भोला ही ठहरा अभागा
भोला ही ठहरा अभागा
पागल मनवा क्यों झल्लाता है
देख ले चारो ओर दुनिया में
सभी संघर्ष जीतने में लगे है
अपने जीवनमें सदा मस्त रहते है।।
चलते-चलते कदमो से
अपने पथको जो खोज लेते है
वही सच्चा गतिशील है
उसको ही प्रगतीने पुजा है।।
अंधेरो को प्रकाशित करने वाला
गगन में बैठा है अशोनील
नहीं रोक पाएगा कोई प्रभा को
कबतक रोकेंगे वह काले बादल।।
छोड़कर निराशा को जो
आगे ही आगे बढ़ेगा
जो ठहर गया बीच में
वह तो भोला ही कहलाया अभागा।।