भक्त की पुकार
भक्त की पुकार
मै क्रंदन करूं, हे रघुनंदन !
इस बंधन से मुक्ति दिलाओ तुम।
पाषाण बनी अहिल्या को,
पल भर में नारी बनाए तुम
शबरी की कुटिया में पहुंचकर,
नवधा भक्ति सिखाए तुम
मिलकर हनुमान से किष्किंधा में,
दुविधा सारी मिटाए तुम
ऐसे दुविधा हमारी मिटाओ,
इस क्रंदन पर आ जाओ तुम।