भड़ास
भड़ास
मौन स्तब्ध रहकर भला
कबतक रहें ?
अपनी व्यथा बैचेनियाँ
किसको कहें ?
बस कागजों पर भड़ास
उकेर देता हूँ !
समस्या को सबके लिए
बिखेर देता हूँ !
कहाँ फुरसत किसी को
व्यथा जान जाते !
परखते अपनी नजरों से
उसे पहचान जाते !
मनकीबातें को लिखकर
हल्का हो जाता है !
अपने जख्मों को मरहम
लेखनी सीखाता है !
इन भड़ासों से एक दिन
क्रांतियां पनपती है !
परिवर्तन, सुशासन, प्रेम
की बयार वहती है !