STORYMIRROR

Devendraa Kumar mishra

Tragedy

3  

Devendraa Kumar mishra

Tragedy

भद्दा मज़ाक

भद्दा मज़ाक

1 min
197


अच्छा तो इसलिए चले थे तुम साथ 

काम था तुम्हें मुझसे जरूरी 

पहले परिचय, फिर मित्रता 

फिर इतनी घनिष्ठता कि तुम्हें न कर ही नहीं सका मैं 

तुम्हारी चाल तब समझ आई 

जब तुमनें ये कहकर किनारा कर लिया कि किसी महत्तवपूर्ण काम में उलझे हो 

मैं अपनी सरलता पर रोऊँ या तुम्हें इस ओछी हरकत पर फटकार लगाऊँ 

चलो भूल जाता हूँ भद्दा मज़ाक समझकर. 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy