हरीश सेठी 'झिलमिल'
Abstract
है
भाव
भावना
भारतीय
जन कल्याण
शांति का आह्वान
विश्व ही परिवार
हिंदी
अंतस
प्रकृति का उप...
पहली उड़ान
नववर्ष
दीया
स्वर्ग
रक्षाबंधन
उन उदास आंखों की मस्ती में उदास मलंग बन मीरा की रुबाई सा और सूरदास की भक्ति सा मेरा इश्क़ तुम्... उन उदास आंखों की मस्ती में उदास मलंग बन मीरा की रुबाई सा और सूरदास की भक्ति ...
कोशिश मेरी तो दुरुस्त ही थी, सब गलत निकले क़ियास मेरे, सलाहियत मेरी नुमाया ना है, कोशिश मेरी तो दुरुस्त ही थी, सब गलत निकले क़ियास मेरे, सलाहियत मेरी नुम...
माँ ने सिखायी ये तुरपन माँ ने सिखायी ये तुरपन
झूम के नाचती बल खाती हवा सी आती है, और अपने घरोंदे को साथ ले जाती है| झूम के नाचती बल खाती हवा सी आती है, और अपने घरोंदे को साथ ले जाती है|
उसमें ही खुशहाल हैं रहते ये मेहनतकश लोग। उसमें ही खुशहाल हैं रहते ये मेहनतकश लोग।
अब जाए वापिस कैसे, जब नहीं उसका वहां कोई ठिकाना है। अब जाए वापिस कैसे, जब नहीं उसका वहां कोई ठिकाना है।
तुम करो वही जिसमें तुम खुश हो तुम्हें दूसरों के लिए बदलना क्यों है..? तुम करो वही जिसमें तुम खुश हो तुम्हें दूसरों के लिए बदलना क्यों है..?
तू मेरे गुरूर की तरह मैं तेरे अहंकार जैसा तू गले में ताबीज़ सा मेरी तू मेरे गुरूर की तरह मैं तेरे अहंकार जैसा तू गले में ताबीज़ सा मेरी
घूँट घूँट रुह तक उतरती एक ख़ुशनुमा एहसास सी ? घूँट घूँट रुह तक उतरती एक ख़ुशनुमा एहसास सी ?
उस शिखर पर मैं था और बस, खाली फटी जेब। उस शिखर पर मैं था और बस, खाली फटी जेब।
सबसे मुश्किल सच का निर्णय लेना, मनोबल से संभव होता कर गुजरना। सबसे मुश्किल सच का निर्णय लेना, मनोबल से संभव होता कर गुजरना।
पहेली सी ये गलियां भुलभुलैया ये रस्ता क्यों है ? पहेली सी ये गलियां भुलभुलैया ये रस्ता क्यों है ?
बहुत थकान हो गयी है, बढ़ी प्यास लगी है। बहुत थकान हो गयी है, बढ़ी प्यास लगी है।
अगर मैं होती चाँद पायलिया बजती तुम्हरे पग माँ आओ मुझे सुला दो फिर से देकर मीठी थपकी अगर मैं होती चाँद पायलिया बजती तुम्हरे पग माँ आओ मुझे सुला दो फिर से दे...
अब तो प्यार का सैलाब भी बेमायने था उनके लिए। अब तो प्यार का सैलाब भी बेमायने था उनके लिए।
पूरी कायनात पर छा गई है आज हर एक माँ की तरह। पूरी कायनात पर छा गई है आज हर एक माँ की तरह।
इसलिए मैं नहीं लिखता कविता मैं लिखता हूं अनकही व्यथा। इसलिए मैं नहीं लिखता कविता मैं लिखता हूं अनकही व्यथा।
आसमां न सही जमीं ही सही कोई तो पुकार लेता पर जरूरी तो नहीं। आसमां न सही जमीं ही सही कोई तो पुकार लेता पर जरूरी तो नहीं।
सब धुंधला है पास आते जाओगे दृश्यता बढ़ती जायेगी तस्वीर साफ नजर आएगी। सब धुंधला है पास आते जाओगे दृश्यता बढ़ती जायेगी तस्वीर साफ नजर आएगी।
गागर में सागर गागर में सागर